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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

झुलस रहा है देश मेरा

झुलस रहा है देश मेरा
भीगा भीगा सा है आज देश मेरा
झुलस रहा हर कोना कोना है
क्यों हिन्दू-मुस्लिम की दीवारें मन में हैं बनाई
क्यों अहम्,ईर्ष्या,द्वेष में ज़िन्दगी तुमने गवाई
अपने साथ-साथ कई निर्दोषों की साँसें भी दाव पर तुमने लगाई..

बदले से बदला,नफ़रत से नफ़रत क्यों जोड़ते हो
इंसान हो कर क्यों दिल में हैवानियत को पनहा देते हो
नफ़रत को प्यार में,बदले को माफ़ी में अपना कर तो देखो
देश को आबाद होने दो,आगे बढ़ने दो
अपनी आने वाली पीढ़ी की नज़र को झुकने नहीं दो ..
-वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

कमलकांत घिरी said

👌👌👏👏🙏🇮🇳

वन्दना सूद replied

🙏🙏🇮🇳🇮🇳

श्रेयसी said

Kaash aisi hin bhaawana ho sab me, bahut khoob 👌👌🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏🇮🇳🇮🇳

Arpita pandey said

आपकी भावनाएं अनुकरणीय है पर जो मज़हबी उन्माद में है उन लोगों पर इसका असर होगा यह संदेहास्पद है

वन्दना सूद replied

सही कहा आपने 🙏🙏🇮🇳🇮🇳सोच को बदलना आसान नहीं है

Lekhram Yadav said

वन्दना जी अगर आप जैसे चिन्तक हों तो आपका देश कभी नहीं जाएगा, बहुत सुन्दर कविता, सादर नमस्कार।

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir🙏🙏🇮🇳🇮🇳जय हिन्द

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