वक़्त क्या बदला,
अब लोग बदले से दिख रहे हैं,
हर कदम हर घड़ी वह दर्द दे रहे हैं,
उम्मीदों की किरण भी अब बादलों में छिप गई है,
ना जाने हर पल एक चुभन सी लग रही है,
............एक चुभन सी लग रही है,
वक्त क्या बदला,
अब महफ़िले भी तन्हाइयाँ बन रही हैं,
दुनिया के मेले में अब गुमनामियां मिल रही हैं,
सोचता हूं क्या खेल हैं मौसम के,.....
अब बदलते रुत्त से मोहब्बत सी हो गई है,
.............मोहब्बत सी हो गई है,
वक्त क्या बदला..........
लेखक .... राजू वर्मा
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




