जिन आंखों में डूबना था मुझे, उसे पार कर गया मैं,
और जिन आंखों में कभी डूबना नहीं था उसमें डूब गया मैं,
तुम को सामने से देखूँ तो फिर से एक उम्मीद जाग जाती है,
दिल से याद करुं तुम्हें तो तुम सामने से आती नजर आती हैं,
जरा करीब आते ही मेरा सपना टूट जाता है,
उम्मीद तो करता हूँ कि हर रोज तेरा दीदार हो,
तुझ में खोना चाहता हूँ इसलिए मुझे तेरा साथ चाहिए,
बस इन्हीं कारणों के कारण मेरी उम्मीद उम्मीद ही रह जाती है,
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'