आख़िर ज़िंदगी का ये, खेल–ओ–तमाशा क्या है..
समन्दर से पूछिए, बे–वज़ह ये तूफ़ाँ उठा क्या है..।
इस बाज़ार के सब, हिसाब–ओ–उसूल अपने हैं..
यहां ईमान के सिवाय, सस्ता सामाँ बिका क्या है..।
फूलों के चमन में, हम बातें भी फूलों की करते रहे..
किसके कहने से, ये ख़्याल कांटों सा चुभा क्या है..।
उनकी फुरकत के मर्ज़ का भी, जाने इलाज क्या है..
बेअसर है सब, ये दुआ क्या है, जाने ये दवा क्या है..।
आफताब आज फिर, एक दिन को लेकर डूब गया..
चांदनी के रुखसार पर, ये एक आंसू सा थमा क्या है..।
पवन कुमार "क्षितिज"

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




