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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सच कैसे सह पाएंगे

जिनकी आंखों में पत्थर हैं सच कैसे सह पाएंगे
उनके खुद के शीशमहल हैं यह कैसे समझाएंगे।।

चेहरे पर गहरी नादानी तो आंखो मे मक्कारी है
कातिल हंसकर आते हैँ सबको गले लगायेंगे।।

एक घाट पर है शेर भूखा एक तरफ प्यासी बकरी
पंचशील के नियम निराले कैसे जान बचाएंगे II

इश्क बिका चांदी के बदले उसका पलड़ा भारी है
रोटी के लाले हैँ जिनको वे क्या प्यार निभायेंगे।।

पहले सूखा मंगवाया था पर अबकी बाढ मंगाएंगे
लोगो के घर बह जायेंगे अपने घर बन जाएंगे।।

जिसने बीच शहर के मुझको सूलीपे लटकाया है
वो ही सबसे पहले आकर सूखे फूल चढ़ाएंगे ।।

पानी की लहरों पे लिखके रोज इबारत भेज रहे हैं
हम तो डूब रहे हैं लेकिन तुमको भी ले जायेंगे।।

दास मीनारों पर बैठी आतुर गिद्धो की भूखी सेना है
उन्हें यकीं है लोग यहां सब भूखे ही मर जाएंगे।।

सूरज ने पहचान लिया है दुनिया की खुदगर्जी को
अपनी जान जलाकर बस लोटा भर जल पायेंगे II




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

यह रचना समाज में व्याप्त द्वेष और स्वार्थ को उजागर करती है। हर शेर मानवता के संघर्ष को और उसके भीतर की सच्चाइयों को बयां करता है, जिससे पाठक खुद को समझने और परखने के लिए मजबूर होता है - आपको सादर प्रणाम

Shiv Charan Dass replied

आपको भी प्रणाम अशोक जी! आपकी प्रेरणा शायरी सी लगती है बहुत आभार

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