जिनकी आंखों में पत्थर हैं सच कैसे सह पाएंगे
उनके खुद के शीशमहल हैं यह कैसे समझाएंगे।।
चेहरे पर गहरी नादानी तो आंखो मे मक्कारी है
कातिल हंसकर आते हैँ सबको गले लगायेंगे।।
एक घाट पर है शेर भूखा एक तरफ प्यासी बकरी
पंचशील के नियम निराले कैसे जान बचाएंगे II
इश्क बिका चांदी के बदले उसका पलड़ा भारी है
रोटी के लाले हैँ जिनको वे क्या प्यार निभायेंगे।।
पहले सूखा मंगवाया था पर अबकी बाढ मंगाएंगे
लोगो के घर बह जायेंगे अपने घर बन जाएंगे।।
जिसने बीच शहर के मुझको सूलीपे लटकाया है
वो ही सबसे पहले आकर सूखे फूल चढ़ाएंगे ।।
पानी की लहरों पे लिखके रोज इबारत भेज रहे हैं
हम तो डूब रहे हैं लेकिन तुमको भी ले जायेंगे।।
दास मीनारों पर बैठी आतुर गिद्धो की भूखी सेना है
उन्हें यकीं है लोग यहां सब भूखे ही मर जाएंगे।।
सूरज ने पहचान लिया है दुनिया की खुदगर्जी को
अपनी जान जलाकर बस लोटा भर जल पायेंगे II

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




