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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

हम देश को सबकुछ मानते हैं...

कहता क्या देश का सैनिक
ज़रा ध्यान से सुनना
तब हसीन रातों में ख़्वाब बुनना।
कि तुम जो चैन से सोए हो
अपने घरों में अपनों के संग
हम लड़ रहें हैं सुनसान रातों में
देश के दुश्मनों से जंग।
तुम जब आपस में लड़ते हो
तब जोशे वतन अपना जम सा जाता है
राह कुर्बानियां का तब व्यर्थ सा लगता है।
हम तो सरहदों पर सभी के लिए हैं।
हम राम भी हम रहीम भी हैं ।
नहीं कोई वैमनश्यता ना कोई जात धर्म
अपना तो बस एक हीं धर्म राष्ट्र धर्म
पर लोग आपस में लड़ते हैं।
झगड़ा फसाद करतें हैं।
लड़ते लड़ते आपस में देश को भी ना
बक्शतें हैं।
सुबह शाम धर्मांधता में जकड़कर
देश की एकता अखंडता संप्रभुता से
खेलतें हैं।
और हम ऐसे लोगों के लिए अपना
सर्वोच्च बलिदान देते हैं ..
अफ़सोस अफ़सोस... हे मेरे मालिक..
तन भी गया मन भी गया लूटा दिया
अपना सारा जहान ..
फिरभी कुछ ना हासिल हुआ
अपनों के चलते टूट रहा अपना अभिमान..
फिरभी हम हम डटें हुए हैं
सरहदों की निगहबान बन कर..
भारत देश की आर्मी भारत की शान बनकर..
दुहमानों का काल बनकर..
देश का नाम बनकर..
क्योंकि .........
हम तो हैं वतन के रखवाले
हम अपना फ़र्ज़ ईमान बखूबी समझते हैं।
हम देश को सबकुछ मानते हैं....
हम देश को सबकुछ मानते हैं..




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