सुख कहीं बाहर नहीं
सुख कहीं बाहर नहीं, सब हमारे अंदर है।
चलती हैं सांसे, सब प्रकृति पर निर्भर है।।
कुछ सुकून है, अपने दिल के अंदर ।
कुछ गुरुर है, इस सीने के अंदर...।।
ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा, सुख कहीं बाहर।
परिवारों के बीच, है बहता प्रेम निर्मल ।।
- सुप्रिया साहू