तेरी कई बातें दिल को चुभ गयीं,
तेरी कई अदाएं दिल में खंजर मार गई,
अपनी जिंदगी के सफर में अपनों से ज्यादा हार पाई है,
नकली हंसी हंसते हंसते मै ने पूरा दिन गुजार दिया,
लेकिन शाम ढलते ही खुद की बदनसीबी पर आंखे नम हो जाती है
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'