चलती हुई ये हवा कुछ कहे,
तेरी ख़ुशबू सी हर शय बहे।
छू ले जो तू… तो लगे ज़िंदगी,
तेरे बिना जैसे थमे हर घड़ी।
ये खुली सी हवा, ये रुकी सी घड़ी,
तेरे संग है तो लगे सब सही।
ना ज़ुबां कुछ कहे, ना नज़र कुछ कहे,
फिर भी तू पास है, यही है खुशी।
तेरे बिना जब चलता हूं मैं,
हर रास्ता अजनबी सा लगे।
तेरे साथ तो पेड़ भी गाएं,
हर मोड़ पे इक कहानी जगे।
छोटे से पल भी जब साथ हों,
लगता है जैसे सब कुछ मिला।
तेरी हँसी से जो दिल धड़कता,
वो सुर कोई ना लिख सका भला।
तेरे साथ हर बात में रंग है,
तेरे बिना हर दिन बेरंग है।
तू जो पास हो तो लगता है यूँ,
जैसे सांस में बसा कोई संग है।
पलकों पर बैठे तेरे ख्वाब हैं,
नींदों में तेरे जवाब हैं,
तू ना बोले फिर सुन लूं मैं,
तेरे मन के सारे हिसाब हैं।।
ये खुली सी हवा, ये रुकी सी घड़ी,
तेरे संग है तो लगे सब सही।
ना ज़ुबां कुछ कहे, ना नज़र कुछ कहे,
फिर भी तू पास है, यही है खुशी।
- ललित दाधीच।।