क्या धर्म युद्ध मजबूरी थी,
...हाँ धर्म युद्ध मजबूरी थी,
...हाँ धर्म युद्ध मजबूरी थी,
अर्जुन ने भी यह सोचा होगा,
...कई बार मन को रोका होगा,
पर कौरव कहाँ मानने वाले,
...पग पग बोते थे अंगारे,
लालाच में इस कदर वो डूबे थे,
...मर्यादा भी ले डूबे थे,
भरी सभा की लाज न की,
....इज्जत मर्यादा सब ताक पर थी,
फिर अर्जुन ने ये सोचा होगा ,
....अब धर्म युद्ध लड़ना होगा,
....अब धर्म युद्ध लड़ना होगा,
कवि राजू वर्मा द्वारा लिखित
22.12.24
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