अब लिखने का समय आगया , अपनी अमर कहानी
लोट गया जो समर छोड़ तो , फिर धिक्कार जबानी
आज अपने रक्त से इतिहास लिखकर आऊंगा
मार कर धूमिल करूंगा या भले मर जाऊंगा
कर्ण दुरियोधन कि दुस्साशन हो या परमात्मा
रोक सकते हैं नहीं द्रणसंकल्प मेरी आत्मा
दे दो अब आशीष की में , चक्रव्यूह भेदन करूं
शत्रुओ की छातियों को , बाण से छेदन करूं
धर्म पक्ष के इस युद्ध को , बचाने के लिए
विवश हो देदी आज्ञा अभिमन्यु को जाने के लिए
संखनाद करता हुआ बो वीर आगे बढ़ चला
बिकराल से इस काल को, कोन रोकेगा भला
रौद्र सी ज्वाला की भांति बो धधकता जा रहा
अक्छुणी सेना को जैसे हो निगलता जा रहा
शिव के वरदान ने , जेदरथ को बाहुबल किया
रोक उसने पांडवों को द्वार के बाहर लिया
छठे द्वार पर दुरियोधन का पुत्र है खड़ा
सावधान अभिमन्यु कहकर युद्ध को आगे बढ़ा
अभिमन्यु के साथ बो युद्ध में न टिक सका
शीश कटा लक्ष्मण का दुरियोधान के रथ पर गिरा
तीव्र पवन के वेग सा वीर आगे बढ रहा
शत्रुओं के पक्ष पर गाज सा बो पड़ रहा
मात्र सोलह वर्ष की कुल आयु में
अदुतीय इतिहास अपना गढ़ रहा
जा खड़ा हो लांघता , अभिमन्यु सातबा द्वार
आश्चर्य से सब सोचते हैं , व्यूह केसे किया पार
विनम्रता से बोलकर मेरा प्रणाम स्वीकार हो
चढ़ा धनुष में तीर फिर सावधान यलगार हो
मानो की स्वयं काल ने , भयाभय रूप धारण किया
बानो की बौछार से हर एक को घायल किया
रण में अचंभित हो गुरु द्रोण देखते हैं वीर को
अभिमन्यु के रूप में , मानो कि अर्जुन स्वयं हो
देख अभिमन्यु का तांडव दुर्योधन घबरा गया
कोरवो की हार का अब समय हो आगया
देख हारता कोरवों को नियम सारे छोड़कर
युद्ध की मर्यादाओं की सारी सीमा तोड़कर
एक साथ सातों योद्धा बाण की बौछार करने लगे
इक अकेले वीर से सब एक साथ लड़ने लगे
सातों योद्धाओं को उसने , बानो से धराशाई किया
पर तोड़कर रथ अनीति से , वध सारथी का कर दिया
फिरभी वीर पराक्रमी भयभीत किंचित न हुआ
रथ के पहिए को उठा , शस्त्र बना लड़ता रहा
पीठ पीछे बार कर अभिमन्यु को घायल किया
छल से निहत्थे बालक को घेर सातों ने लिया
घायल हुआ लड़ते हुए , धरती पर जा गिरा
शोक हे इस बात का में कायरों के हाथों मरा
रक्त से बिक्षत अभिमन्यु का शव पड़ा था भूमि पर
घेरकर सब हसरहे थे नृत्य कर रहे झूम कर
जो गर युद्ध नियम से चलता , धूमिल करता सबको क्षण में
मरा नही बो अमर हो गया , महाभारत के ऐतिहासिक रण में
साक्षी लोधी

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




