नींद जब नयनों से, निकल निकल भागी
लिए अंगड़ाई अंग बोला राम राम जी
भोर दिनकर की चमक चेहरे पर पड़ी
चंचल चमक मुख बोला राम राम जी
पथ के पथिक नैन मिले दोनों छोर से
हाल चाल पूछा मन बोला राम राम जी
गीत संगीत ध्वनि मंदिरों में शंख ध्वनि
गांव की भोर गूंज बोला राम राम जी।
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सर्वाधिकार अधीन है