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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

सिलसिला क्या है

उधर भीड़ में चलें, देखें, आख़िर मसअला क्या है..
कुछ तकरीर कुछ तकरार, वहां और भला क्या है..।

अपनी अपनी हैसियतों की, बोलियां हैं लग रही..
जान की बाज़ी है, तो नहले पे दहला क्या है..।

मुद्दे वही, किरदार वही, और जंग–ए–मैदान भी वही..
हाथ वही, नश्तर वही, तो ज़माने में बदला क्या है..।

आंधियों का गुब्बार, आसमां से उतर ही गया जो..
फिर हर तरफ़ सब कुछ, इतना धुंधला क्या है..।

दिल में ज़रा भी अब जगह, बाकी नहीं जो आपके..
फिर ये मनाने और मानने का सिलसिला क्या है..।

पवन कुमार "क्षितिज"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

तालियां तालियां तालियां। चिल्लाने वाले चिल्लाते रहते हैं,देश बदला है, जमाना बदल रहा है, लोग बदल रहे हैं,बदला कुछ नहीं,हमारा नजरिया बदला है। वाह बहुत सुंदर रचना, बधाई

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह! आपकी रचना में जो सच और गंभीरता झलकती है, वो दिल पर सीधा असर करती है। “आंधियों का गुब्बार, आसमां से उतर ही गया जो” — यह पंक्ति गहराई से सोचने पर मजबूर कर देती है। बहुत ही प्रभावशाली और सोचने पर मजबूर करने वाला सशक्त व्यंग्य। आपके शब्दों में गहनता और मौजूदा हालात की सच्चाई खूबसूरती से बयां हुई है। शानदार रचना! सादर प्रणाम आदरणीय

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