तारों की नाराज़गी
तारों ने पूछा !
भला ये कैसी मोहब्बत करते हो हमसे ?
तारों की छाँव में बैठने की चाह रखते हो
टूटते तारों को देख मन्नत माँगते हो
अपने बच्चों को तारों सा चमकता देखना चाहते हो
फिर चाँद के आते ही क्यों बेरुख़ी दिखाते हो ?
वन्दना सूद
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