मैं तो कब से खड़ी तेरे द्वारे
खोल दो पभु पट द्वार
लगन तेरी लागी अपार
पागलपन की बढ़ेगी रफ़तार
लोग कहेंगे मुझे निराधार
मैं तो कब से खड़ी तेरे द्वारे
कौन हूँ, कहाँ से हूँ आई
कहाँ जाऊँगी, पता नहीं लगार
तूने मुझे फंसा दिया संसार
कृपा का पहना दो श्रृंगार
मैं तो कब से खड़ी तेरे द्वारे
दया की लगा दो ऐसी नजऱ
भाये न तेरे सिवा कोई सफ़र
बंदगी से करे प्रयाण लगातार
सुबह सवेरे, करे स्मरण अपार
मैं तो कब से खड़ी तेरे द्वारे
बिन पूजा अर्चना करे कैसे बसर
निंदा इर्षा से बचे मझधार
तू है तो आएं मन को करार
व्यथा करुणा की उठी है लहर
बह जायेंगे थाम लो दिलदार
मैं तो कब से खड़ी तेरे द्वारे