तो क्या हुआ जो जीना पड़ा जीवन में गर तन्हा-तन्हा
इस दुनियांँ में सभी आते-जाते हैं तन्हा-तन्हा
हाँ ये सच है टूट कर भी नहीं टूटे हैं यही दिखाते हैं सभी
लेकिन अश्क छलकाते हैं या पी जाते हैं तन्हा-तन्हा
इतने बड़े आसमाँ में दिखता है एक अकेला चाँद
मगर फिर भी वो चमकता रहता है तन्हा-तन्हा