कवयित्री रीना कुमारी प्रजापत लिखन्तु डॉट कॉम एवं अन्य प्रकाशन पटलों पर अपनी रचनायें लिखती हैं उनकी रचनाओं में अपनों के लिए प्रेम एवं उनसे अपेक्षाओं के साथ साथ अपनों का उन अपेक्षाओं पर खरा न उतरना साफ़ साफ़ झलकता है उनकी रचनाए जान सामान्य के हर एक वर्ग के लिए अपनों का महत्व एवं प्यार को समझाती हैं - इसके इतर वह अपनी रचनाओं में प्रेम को भी रखती हैं - यह कहा जा सकता है कि वह अपनी रचनाओं में सीमित नहीं हैं - इसका एक अच्छा उदाहरण उनकी रचना "मंज़िलें" प्रस्तुत है।

मंज़िलें ख़्वाब है ,
मंज़िलें पाना एक काम है ।
मंज़िलों की राह पर
चल दो मुसाफिर तुम ,
मंज़िलें आसान हैं ।
मंज़िलों का रास्ता,
मंज़िलों का वास्ता,
मंज़िलें हमारी है,
राह भी हमारी है.......
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