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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मन की संतुष्टि

मन की संतुष्टि
सूरज की तीखी किरणों ने जैसे ही गर्मी बरसाई
तो बेसब्री से बारिश का इंतज़ार होने लगा
फिर बारिश ने अपना रंग जमाया
तो सूरज का बादलों से झाँकने का इंतज़ार रहने लगा
प्रकृति हमारे मज़े लेना क्यों न छोड़े
जब हमने ही अपनी बेसब्री नहीं छोड़ी
मौसम और ऋतुओं का समयानुसार बदलना तय है
किन्तु हमारे मन को जो संतुष्ट कर सके शायद ऐसा समय मुमकिन नहीं है
प्रकृति ने हमारी हर ज़रूरत को पूरा किया
परन्तु हम सब कुछ पा कर भी अतृप्त ही हैं ..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Vadigi.aruna said

बहुत अच्छा लिखा आपने, अंतिम चरण बहुत बढ़िया है

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 😊

रमेश चंद्र said

Kya bat h ...insan ko jo mile usme santust nhi h.

वन्दना सूद replied

हम सब ऐसे ही हो गए 🙏

कमलकांत घिरी said

वाह ! मैम बिल्कुल सही कहा आपने इस जगत में कोई भी व्यक्ति कितना भी पाए तृप्त नहीं होता.. आपके इन विचारों को मेरा नमन।।प्रणाम।।🙏

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir🙏😊

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