मन की संतुष्टि
सूरज की तीखी किरणों ने जैसे ही गर्मी बरसाई
तो बेसब्री से बारिश का इंतज़ार होने लगा
फिर बारिश ने अपना रंग जमाया
तो सूरज का बादलों से झाँकने का इंतज़ार रहने लगा
प्रकृति हमारे मज़े लेना क्यों न छोड़े
जब हमने ही अपनी बेसब्री नहीं छोड़ी
मौसम और ऋतुओं का समयानुसार बदलना तय है
किन्तु हमारे मन को जो संतुष्ट कर सके शायद ऐसा समय मुमकिन नहीं है
प्रकृति ने हमारी हर ज़रूरत को पूरा किया
परन्तु हम सब कुछ पा कर भी अतृप्त ही हैं ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




