तुम्हारे होने का एहसास ही काफी है,
उतरती हो नशों में लहू बनकर हर रोज।
सांसों में समा, दिल की धड़कन बन जाती हो,
तुम्हारे होने का एहसास ही काफी है....
रात की तनहाई में, जब तारे भी सो जाते हैं,
तुम्हारी यादों की छांव में, मैं खुद को पाता हूँ।
तुम्हारी मुस्कान, मेरी रोशनी बन जाती है,
तुम्हारे होने का एहसास ही काफी है....
हर सुबह की पहली किरण में, तुम्हारा अक्स झलकता है,
तुम्हारे बिना ये जीवन अधूरा सा लगता है।
तुम्हारी बातों में, मेरा मन सुकून पाता है,
तुम्हारे होने का एहसास ही काफी है....
उम्मीदें अब भी तुम्हारी राह देखती हैं,
तुम्हारी मौजूदगी, मेरी सांसे बन जाती हैं।
दिल की गहराइयों में, तुम्हारा नाम बस जाता है,
तुम्हारे होने का एहसास ही काफी है....
तुम्हारे बिना ये जहाँ वीरान सा लगता है,
तुम्हारी हंसी, मेरा संजीवनी रस बन जाती है।
हर पल, हर लम्हा, तुमसे ही सजीव हो जाता है,
तुम्हारे होने का एहसास ही काफी है....
तुम्हारी यादें, मेरी जीने की वजह बन जाती हैं,
तुम्हारी खुशबू, मेरी धड़कनों में समा जाती है।
हर रात की खामोशी में, तुमसे ही रौशन हो जाता हूँ,
तुम्हारे होने का एहसास ही काफी है....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




