स्वार्थ की दीवारें
शिवानी जैन एडवोकेट byss
स्वार्थ की दीवारें हैं जो हमें बांटती हैं,
और प्रेम की नदी को सूखने देती हैं।
यह एक ऐसा जहर है जो दिल को खराब करता है,
और इसके प्रभाव से हम सबको बचाना है।
स्वार्थ की आग है जो जलती रहती है,
और इसके आगे सब कुछ जल जाता है।
यह एक ऐसा रोग है जो फैलता है,
और इसका इलाज नहीं होता है।
स्वार्थ की दीवारें हैं जो हमें बांटती हैं,
और प्रेम की नदी को सूखने देती हैं।
हमें इन दीवारों को तोड़ना है,
और प्रेम की नदी को फिर से बहाना है।