जब अपने ही नहीं अपने ,
ग़ैरों का भरोसा क्या कहिये !!
जो देखके नज़रें चुराते हैं,
ऐसों की दुआयें क्या कहिये !!
पत्थर के सनम पत्थर के दिल,
पत्थर की मूरत क्या कहिये !!
मतलब ही नहीं जिनको हमसे,
ऐसे लोगों से क्या मिलिये !!
जो लदे हैं झूठ-फरेबों से,
और मतलब भरे मुस्कानों से !!
दो बूँद की जिससे आस नहीं,
ऐसे दरिया में क्या बहिये !!
सर्वाधिकार अधीन है