ना जाने कितने सदमों से गुजरना पड़ा हमें
कहना था कुछ मगर सुनना पड़ा हमें
किश्ती ही खुद इतनी जर्जर मिली हमें बस
तूफ़ान के सामने यूं झुकना पड़ा हमें
गैरों से क्या शिकायत अपनों ने ऑंखें फेरी
अपनों से मार खाकर हंसना पड़ा हमें
खुद मुजरिमों ने सच को ले लिया हिरासत में
झूंठो से तब मुकदमा लड़ना पड़ा हमें
डर कर सभी परिंदे ज़ब उड़ गए आकाश में
अफवाह के सैलाब में बहना पड़ा हमें ।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




