टिमटिमाती तारों से सजी
ए रात सुहानी हो हो ए रात सुहानी
चंदा पूछे रात को
अंधेरो की कालिमा कहाँ छुप गई
हाँ कहाँ छुप गई
टिमटिमाती तारों से सजी
ए रात सुहानी हो हो ए रात सुहानी
कितना सुंदर रूप खिला है
लगता है कोई खास, रात को नशा है
उलझी उलझी शाम थी आई
आहोश में भरके लालिमा थी लाई
इशारा करके छुप सी गई है
हाँ छुप सी गई है
टिमटिमाती तारों से सजी
ए रात सुहानी हो हो ए रात सुहानी.....
अम्बर उमंग से नाचे है कितना
मधुर संगीत धीरे से छेड़े तराना
ख़ामोश बने तारें पुकारें चाँदनी तू कहाँ है
हाँ पुकारे तूँ कहाँ है
टिमटिमाती तारों से सजी
ए रात सुहानी हो हो ए रात सुहानी...
रंगीन महफ़िल सजी है
तेरे बिना रंगत अधूरी सी है
वक्त को देखो वो भी कुछ कहे है
हाँ कुछ कहे है
टिमटिमाती तारों से सजी
ए रात सुहानी हो हो ए रात सुहानी....!!!!!
----स्नेह धारा