नभ शब से शबाब हो गई
मन तो ख्वाबों की शहर बन गई ॥
दिन बीत न जाती
अगले दिन बीत न चाहती ॥
इंतजार में पल युग बन जाते
पर खुशी में समय भाग जाते ॥
खुशी में सब अच्छा दिखते
दु :ख में सब अच्छा न दिखाते ॥
शब्द जुबान से निकलता ही नहीं
मन तो सिर्फ बेजुबान हो गई ॥
मन तेरी सोहबत चाहती
जब तक महताब घर न जाती ॥

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




