इश्क, मुहब्बत के सिवाय मुझे कुछ और नहीं आता है,
तुम्हें से इश्क, मुहब्बत से दूर दूर का कोई नाता नहीं है,
एक तुम्हें नहीं आता, एक मुझे नहीं आता,
चलो अच्छा है, तुम्हें भी अधूरे हो, मैं भी अधूरा हूँ,
दोनों एक दूसरे की नजरें में बराबर है,
----धर्म नाथ चौबे 'मधुकर'
(9038539763)