पवनपुत्र की जय
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
पवनसुत अंजनी के लाला, बल बुद्धि के सागर हो।
रामभक्त शिरोमणि तुम ही, संकटमोचन नागर हो।
केसरी नंदन वीर बजरंगी, गर्जन सिंह समान तुम्हारा,
एक इशारे पर पलटे, युगों-युगों का अंधियारा।
सिया की सुधि ले लंका धाए, अग्निपुरी को पल में फूंका।
अक्षय कुमार को मार गिराया, रावण का दर्प भी चूका।
संजीवन बूटी लाए पल में, लक्ष्मण के प्राण बचाए थे,
भक्ति की शक्ति से तुमने, असंभव को संभव बनाए थे।
तुम्हारी गाथा जग में फैली, कण-कण में तेरा नाम है,
तुम्हारी शरण जो कोई आवे, पल में हो जाए बाधा दूर।
हनुमान जयंती के पावन दिन, श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं,
हे महावीर अब कृपा करो, हम सब शीश नवाते हैं।