तुम्हारे नाम का चर्चा जमाने भर में होता है
मगर टूटा हुआ ये दिल घुट घुट के रोता है
हमारी आँख के आँसू बहुत बेकार जाते हैं
जिगर में दर्द का मसला दामन भिगोता है
ये यारों की मेहरबानी हमेशा याद आयेंगी
खुशियों में अक्सर गम भी शामिल होता है
गर गिर जायेगा दर्पण चकनाचूर ही होगा
इसपे पाँव रखा तो लहू ही हासिल होता है
मुकद्दर में लिखी है दास गर खानाबदोसी
कांधे पे रहेगा बैग हमेशा लाजिम होता है।