आदमी बस आदमी हो यही अच्छा है
कुछ ना कुछ सादगी हो यही अच्छा है
हमेशा जीत कर भी कोई खुश नहीं है
कभी हार की बानगी हो यही अच्छा है
काई से भर जाता है ठहरा हुआ पानी
जल्दी से बस रवानी हो यही अच्छा है
ये धन दौलत शोहरत रूप रंग जवानी
जरा कमही दीवानगी हो यही अच्छा है
खुदा से बढ़के नहीं होगा आदमी कभी
दास दिल में बेचारगी हो यही अच्छा है II