कविता : एक पागल....
आदमी सौ कमाए तो
हजार के पीछे बढ़ता
आदमी हजार कमाए तो
लाख के पीछे दौड़ता
सारी जिंदगी कभी इधर
कभी उधर करता है
ऐसे करते करते आदमी
एक दिन फिर मरता है
जब लास्ट में मरना ही
है तो क्यों ऐसा ?
आदमी हर बखत होता क्यों ?
एक पागल जैसा
आदमी हर बखत होता क्यों ?
एक पागल जैसा.......
netra prasad gautam

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




