अब तक लोग मुझे कठपुतली की तरह नचाते।
अब मैं उन लोगो को पतंग की तरह उडाऊँगी।।
जिनकी आदत बन गई लडकियों से फायदा लेना।
अब मैं उन सब लोगो को दिन में तारे दिखलाऊँगी।।
कब तक मैं अकेले ही तकलीफ को झेलती रहूँगी।
वकालत की पढ़ाई पढकर हवालात दिखलाऊँगी।।
खैरियत पूछने लग गये जब से शहर आई 'उपदेश'।
सलाह नही लेने वालो को भी रास्ता दिखलाऊँगी।।