राष्ट्रवाद और मानवता - जब हम संकीर्णता से ऊपर उठ कर देखेंगे , तो पायेगे की पूरा विश्व एकल परिवार है( वैश्विक गाँव ) अब हम बात करते हैं राष्ट्रवाद की यह नितांत जरुरी है कि जब हम किसी देश की एकता अखंडता और उसकी संप्रभुता को अछुन्य रखना चाहते है , तो एक साझा गौरवशाली प्राचीन इतिहास की तरफ निहारते हैं जो देश के नागरिको को एक सूत्र में बांध सके तत्पश्चात उनके हितो को आपस में जोड़ के रखा जाता है , ताकी ह्म् आन्तरिक विप्लव की परिस्थितियो से दूर रहे , हां बात हुई हमारी आंतरिक सुरक्षा की l
अब चलते हैं वैश्विक परिपेक्ष में , आज आतंकवाद एक अभिशाप बनकर रह गया है , हमारी तमाम एजेंसियां , सारे प्रयास विफ़ल हो जाते हैं अब गौर करो इसके बारे में तो इसकी कोई आज तक परिभाषा न बन सकी है , जिसकी सम्भवतह वज़हे है इक वैश्विक एकरूपता की कमी तो दूसरी कई बार एक देश का राष्ट्रवाद दूसरे देश के लिए आतंकवादी गतिविधिओ को जन्म देता है
विश्व कल्याण की भावना हमारी प्राचीन परम्परा है , अब इसी को मानवतावाद से संलग्न करके राष्ट्रवाद को इसके दायरे में लेक देखा जाए तो जहां मानवतावाद परिकलित राष्ट्रवाद होगा विश्व कल्याण स्वतः गुंजायमान होगा , और शायद यह राष्ट्रवाद विश्व और मानव संस्कृति के लिए दीर्घकालिकजीवी भी होगा , वशुधैव कुटुंबकम वैश्विक गांव और एक पृथ्वी, एक पर्यावरण और एक जीवन की सत्ता सिद्धांतिक से प्रैक्टिकल हो सकेगा l
वर्तमान में जब विश्व शक्ति व्यापक हो रही है एक एक आधुनिक हथियार परमाणु रासायनिक जैविक मानो मानव सभयता को जब चाहे निगल सकता है ऐसे काल मद्देनजर य तो निःशस्त्रीकरण हो , या फिर ऐसी भावना पनपे जिनमे एक आश्वासन हो कि यह विज्ञान मानव के हेतु है न कि मानव के बिना , मानवता के रास्ते को सुगम बनाने के लिए उसे अपनाया है ना कि मानव के जीवन को नकारात्मक प्रभाव से भरणे हेतुl
मानव तू बड़भागी है , नियति ने दिया है दान तुझे l
तुझसे ही बनना है अब , शक्ति का रखना मान तुझे l
हो प्रकृति सहायक कदम तेरे , ऐसी रचना आयाम तुझे l
सत्ता तेरी चिरजीवी रहे , इतना रखना है ध्यान तुझे l
बंधन में बंध न विचारो के , उन्मुक्त ख्याल कर साध इसे l
जब भी बात राष्ट्रवाद की आये , मानवता और विश्व कल्याण पीछे नहीं छोड़ना चाहिए याद रहे पर्यावरण पृथ्वी ब्रह्माण्ड एक ही है अस्तित्व के लिए l
[तेज प्रकाश पांडे]