मेरे सपने तेरे सपनों से अलग हैं,
तू मेरे साथ रह नहीं पाएगा।
छोड़ दे ज़िद मेरा साथ पाने की,
तू मेरे साथ रहके
मिले दर्दों को
सह नहीं पाएगा।
मैं अपनी अलग पहचान बनाना चाहती हूॅं
तू अपनों की पहचान से आबाद है,
तू मेरे साथ जी नहीं पाएगा।
छोड़ दे ज़िद मेरा साथ पाने की,
तू मेरे साथ बसर कर नहीं पाएगा।
तेरी कोई मंज़िल नहीं
मेरी मंज़िल तय है,
तू मेरे साथ सफ़र कर नहीं पाएगा।
छोड़ दे ज़िद मेरा साथ पाने की,
तू मेरे साथ चल नहीं पाएगा।
मेरे आगे गम पीछे गम,
है मेरे साथ मेरे साथी गम,
तू मेरे साथ खुश रह नहीं पाएगा।
छोड़ दे ज़िद मेरा साथ पाने की,
तू मेरे साथ ज़िंदगी भर रूक नहीं पाएगा।
मेरी सोच तेरी सोच से अलग है,
तू मेरे साथ ढल नहीं पाएगा।
छोड़ दे ज़िद मेरा साथ पाने की,
तू मेरे साथ
पिघल नहीं पाएगा।
~ रीना कुमारी प्रजापत