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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कुछ कसावट सी है दिल में - हसीन😍गज़ल- वेदव्यास मिश्र

कुछ कसावट सी है दिल में,
शायद ये उनकी नज़रों का ही असर है !

कुछ तरावट सी है दिमाग में,
शायद ये उनकी मोहब्बत का ही असर है !!

अब न मिलो जो सावन में,
तो सोचता हूँ कि आख़िर मैं जियूँगा कैसे !!

दरअसल उनकी क़ातिल अदाओं का,
हुआ मेरी नस-नस में जो असर है !!

सिर्फ ज़िगर में होता तो,
सँभाल लेता खुद को फिर से !!

कैसे कहूँ कि जगह-जगह बस,
उनकी चाहतों का ही असर है !!

- वेदव्यास मिश्र की हसीन😍कलम से


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

एक कसावट मेरे दिल में भी है, कि क्यों आप मेरी कविताएं पढ़ते नहीं है.... बहुत सुंदर रचना 👌👌✍️✍️👏👏🙏🙏 प्रमाण, शुभ संध्या

रीना कुमारी प्रजापत said

Sorry typing mistake प्रणाम 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, आपकी शिकायत बिलकुल वाजिब है ..हंड्रेड पर्सेन्ट जायज है !! इसका बहुत ही सच्चाई भरा उत्तर ये है..मैं आपकी रचनायें पढ़ता हूँ मगर सिर्फ फाॅर्मल न होकर सही आंकलन के साथ लिखूँगा..सोचने के चक्कर में समयाभाव की वजह से नहीं लिख पाता हूँ !! मजर, अब ध्यान ये जरूर रखूँगा कि आपकी वाजिब शिकायत को अब दूर करने का प्रयास न करके अमल में लाऊँ !! नमन आभार सहृदय मैम 🙏🙏🍵🍵🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, बहुत-बहुत स्नेहाशीष नमन बहन ⭐🍵🍵⭐

Lekhram Yadav said

आदरणीय वेदव्यास मिश्र जी सुप्रभात। आपकी कविता पढ़कर मुझे लगा कि दिमाग में तरावट कुछ कम हो गई है। आपने मेरी मोहब्बत की दूकान भाग-8 को डिलीट कर दिया मुझे अच्छा लगा क्योंकि मैंने आपसे ऐसा करने के लिए कहा था,लेकिन आपने मेरी लाग इन आई डी को बन्द करवा कर, और मेरी गजलों की विषयवस्तु और उनके शीर्षकों को बदलवा कर बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया। मुझे हर बार लाग इन करने के लिए लिखन्तु आफिसीयल की मदद लेनी पङ रही है। क्या ऐसा करना आप जैसे एक पुरस्कृत लेखक द्वारा किया जाना उचित है। आप मुझे कोई निर्देश या सुझाव देते तो मैं सहर्ष मान लेता। आपने मुझे नीचा दिखाने की इतनी घटिया हरकत क्यों की। अगर मेरी रचनाएं पाठकों द्वारा पसन्द की जा रही हैं तो इसमें मेरा क्या दोष है। मैं शायरी शौक पुरा करने के लिए करता हूं ना कि कोई पुरस्कार पाने के लिए। मुझे किसी पुरस्कार की जरूरत भी नहीं है। मेरी रचनाओं को आप इस वेबसाइट पर नष्ट या खण्डित कर सकते हैं मगर ये तो अब प्रेस में छपकर प्रकाशित हो चुकी हैं, उन्हें आप कैसे बिगाड़ सकते हैं या परिवर्तित कर सकते हैं। अब तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे आप इस वेबसाइट से मेरा अकाउंट भी बन्द करवा देंगे। आप सिर्फ इतना ही कर सकते थे, ऐसा करके आपने अपनी कलम का अपमान तो किया ही अपनी कमजोर मानसिकता का परिचय भी दे दिया। अगर मेरी रचनाओं से इतनी ही जलन है, तो मुझसे बेहतर लिख कर दिखाते, आपने ऐसा क्यों किया।

वेदव्यास मिश्र said

Lekhram Yadav जी, नमस्कार सहृदय 🙏🙏 माफ कीजियेगा भाई साहब..मैंने ऐसी किसी प्रकार की कोई धृष्टता की है और न ही पहुँच..और न ही मेरी व्यक्तिगत औकात और न ही मेरा ऐसा कोई इरादा भी !! मेरे तो यही समझ नहीं आ रहा है कि आप जैसा क़ाबिल रचनाकार इस तरह की बातें कर ही क्यों रहा है मुझसे !! जिस बात के लिए मैं दोषी नहीं,कृपया उसकी सजा न दीजिये मुझे 🙏🙏 रही बात , आपके कोई हरिया वाले पार्ट पर ..सीधे-सीधे मैंने कारण भी गिनाये थे दो आपत्ति के..समाधान का सलाह भी दिया था कि भाई अशोक जी जो ज़िन्दगी और मौत के बीच में झूल रहे थे..उनके लिए कृपया ऐसा न लिखें !! और दूसरा कारण, कवयित्री वन्दना सूद जी की खूबसूरती के आपके द्वारा किये गये व्यंग्य के बारे में !! जो भी बात थी..मैंने सीधे-सीधे कही थी ये बात, और वो भी बिना कोई लाग-लपेट के !! और ये भी कहा था मैंने कि बाकी जैसा आप उचित समझें !! मैं एक सामान्य रचनाकार हूँ भाई साहब..इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं !! मैं सिर्फ एक रचनाकार हूँ आपकी तरह लिखन्तु डाॅट काॅम का..लेकिन पूरा लिखन्तु डाॅट काॅम नहीं !! हाँ, लिखन्तु डाॅट काॅम टीम जो भी फैसला लेगी ,वो तो हमें स्वीकार करना ही होगा !! अगर आपको लगता है कि मेरी कोई ज्यादा पूछ-परख है लिखन्तु डाॅट काॅम में तो कृपया इस गलतफहमी को अपने मन से निकाल फेंके बन्धु यादव जी !! अच्छी भावनाओं के साथ हृदयंगम आभार व नमस्कार मेरे हृदयप्रिय रचनाकार दोस्त ..कृपया अनावश्यक गुस्सा न पालें 🙏🙏🍵🍵🙏🙏

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