कुछ कसावट सी है दिल में,
शायद ये उनकी नज़रों का ही असर है !
कुछ तरावट सी है दिमाग में,
शायद ये उनकी मोहब्बत का ही असर है !!
अब न मिलो जो सावन में,
तो सोचता हूँ कि आख़िर मैं जियूँगा कैसे !!
दरअसल उनकी क़ातिल अदाओं का,
हुआ मेरी नस-नस में जो असर है !!
सिर्फ ज़िगर में होता तो,
सँभाल लेता खुद को फिर से !!
कैसे कहूँ कि जगह-जगह बस,
उनकी चाहतों का ही असर है !!
- वेदव्यास मिश्र की हसीन😍कलम से
सर्वाधिकार अधीन है