उदय हुआ है फिर से सूरज ढ़ल गया है अंधेरा
फिर से आ गया है आज एक नया सवेरा।
उठो चलो अब माहिरा पा लो तुम अपनी मंजिल
लेने ज्ञान चलो तुम फिर से सरस्वती विद्या मंदिर।
सरस्वती विद्या मंदिर ऐसा है ज्ञान का सागर
जहाँ पढ़कर तुम्हारी प्रतिभाऐ हो गई है उजागर।
सिखती हो जहाँ तुम नियम और शिष्टाचार
समाज का अंग बनने के लिए हो रही हो तुम तैयार।
पा लेती हो कितनी प्रशंसा दिखाकर अपना आचरण और व्यवहार
सशक्त बनोगी जीवन मे अब नही पाओगी तुम हार।
सरस्वती विद्या मंदिर है जहाँ ज्ञान का भंडार
होती है वहाँ प्रतियोगिताएं भी अपार।
गुरूजन भी है तुम्हारे महादानी
जो कर रहे है ज्ञान का महादान
सरस्वती विद्या मंदिर सच मे है गुणो की खान ।
अपने गुरूजनो का हमेशा ऐसे ही करना तुम सम्मान
जीवन मे सदैव तुम खूब कमाओगी मान।
सादर नमन है सभी गुरूजनो को
समय देकर है जिन्होने सवाँरा कितने ही नन्हे मुन्नो को।
-राशिका ✍️✍️✍️