संयम धर के क्यों जीना है
जब जीवन ही कुछ दिन का है
इच्छाओं पर क्यों काबू हो
हर सपने को पूरा कर लो
क्या बनना है कहां रहना है
कब चुप रहना कब कहना है
दिन रात के इस चिंतन ने
सभी का सुख छीना है
संयम धर के क्यों जीना है
पढ़ लिख अच्छे नंबर लाओ
नंबर आये तो नोट कमाओ
फिर रोटी, कपङा और मकान
जुट जाओ जोङने में सामान
कङवी दवाओं के घूंट पी
फिर बाकी जीवन बीतना है
संयम धर के क्यों जीना है
जो गया टूट या हुआ नष्ट
उसका परित्याग करो झटपट
जो बात करे दिल को आहत
भुला दो उसको तुरत फुरत
क्यों दिल पर बेजा बोझ धरो
क्यों सालों याद कर कुढना है
संयम धर के क्यों जीना है
लड़ना है तो चौङ में भिड़ो
चाहो तो दो दो हाथ करो
आर या पार, दुश्मनी या प्यार
बेफिक्र निकलो दिल का गुबार
छोटी छोटी बातों को
सालों क्यों जज़्ब करना है
संयम धर के क्यों जीना है
चित्रा बिष्ट