वक़्त़ की तहों में कुछ यादें रह गईं छुपी,
मैंने जब पलट के देखा, तो तू ही सामने था।
इक तेरी याद से रिश्ता कुछ ऐसा जुड़ गया,
हर लम्हा तेरा पहरन बनकर नज़दीक खड़ा मिला।
हम सोचते थे तुमको भुला देंगे आसानी से,
पर लम्हा-लम्हा तुम्हारा हिसाब मांगता रहा।
तेरे फिसलते लहजे में जो अपनापन दिखा,
वक़्त पीछे भागा और कई सालों की पुश्तें टूट गईं।