ओ साँझ के सूरज ज़रा इतना बता
आज तूने किस घर को रोशन किया
किस घर मे तूने अंधियारा दिया
ओ साँझ -----
सुबह निकला क्या तूने लिया
माता संध्या ने था क्या तुझको दिया
सात घोड़े रथ तेरे
अरुण है तेरा सारथी तू उसका सवार
ओ साँझ के सूरज ज़रा इतना बता
दुनियाँ मे सुख है कहाँ दुख है बसा
तूने देखा है क्या दुनियाँ को पाप कहाँ से मिला
पुण्य का पर ठिकाना है कहाँ
ओ साँझ के---
किस माँ आँचल सूना दिखा
किस बालक को ममत्व मिला
कौन अपने ही दुख से लड़ा
किसने किसको कष्ट दिया
ओ साँझ---
तुझको रहती हर एक की ख़बर
तू रखता सब पर नज़र
सबके मन को तूने रोशन किया
फ़िर अँधेरा काहे मुझे ही दिया
ओ साँझ के सूरज ज़रा इतना बता
आज तूने देखा मेरा पिया ;
है कहाँ वो करता है क्या ?
क्या तूने उसको मेरा संदेशा दिया
क्या कोई जबाब उससे लिया
करती हूँ प्रतीक्षा हर घरी हर पल
इधर उधर उसे ढूंढूं किधर

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




