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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सांझ का सूरज

ओ साँझ के सूरज ज़रा इतना बता
आज तूने किस घर को रोशन किया
किस घर मे तूने अंधियारा दिया
ओ साँझ -----

सुबह निकला क्या तूने लिया
माता संध्या ने था क्या तुझको दिया
सात घोड़े रथ तेरे
अरुण है तेरा सारथी तू उसका सवार
ओ साँझ के सूरज ज़रा इतना बता
दुनियाँ मे सुख है कहाँ दुख है बसा
तूने देखा है क्या दुनियाँ को पाप कहाँ से मिला
पुण्य का पर ठिकाना है कहाँ
ओ साँझ के---

किस माँ आँचल सूना दिखा
किस बालक को ममत्व मिला
कौन अपने ही दुख से लड़ा
किसने किसको कष्ट दिया
ओ साँझ---

तुझको रहती हर एक की ख़बर
तू रखता सब पर नज़र
सबके मन को तूने रोशन किया
फ़िर अँधेरा काहे मुझे ही दिया
ओ साँझ के सूरज ज़रा इतना बता
आज तूने देखा मेरा पिया ;
है कहाँ वो करता है क्या ?
क्या तूने उसको मेरा संदेशा दिया
क्या कोई जबाब उससे लिया
करती हूँ प्रतीक्षा हर घरी हर पल
इधर उधर उसे ढूंढूं किधर




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Suman Yadav said

Bahut Sundar shabdon ka prayog.👏👏🙏🙏

Arpita pandey replied

आभार आपका आदरणीया

Vineet Garg said

सूरज को सब पता है बेहतरीन वर्णन

Arpita pandey replied

धन्यवाद आपका

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सांझ का सूरज, आप और आपके सवाल, उसके साथ कितने शाब्दिक चित्र उमड़ आये हैं - बहुत सुन्दर गहराइयों में जाकर आपने जो सवाल किये हैं जो चिंता व्यक्त की है अध्भुत है - शुभ रात्रि मेम

Arpita pandey replied

इस तरह की समीक्षा मिलती है तो बड़ी प्रसन्नता होती है धन्यवाद आपका

वन्दना सूद said

Very nice ma’am 😊

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