कापीराइट गजल
रूक गए क्यूं राह में दो कदम चल कर
चल रहे थे साथ मेरे हम सफ़र बन कर
इसकी वजह थी क्या हम को क्या मालूम
साथ उन के चल रहे थे हमकदम बन कर
छोड़ कर हमें राह में, वो अकेले चल दिए
इस तरह क्यूं चल दिए रहनुमा बन कर
वादा अपना भूल कर हो गए गायब कहीं
काश फिर वो लौट आते संगदिल बन कर
क्या हुई हम से खता, जान पाए न कभी
गर जान लेते बात ये, हम सनम बन कर
अच्छा नहीं किसी को यूं छोड़ना यादव
क्या पा लिया हम ने हमसफ़र बन कर
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है