लिखा है गर्दिशो में नाम मेरा
तो क्या गलत हुआ
खुदा समझता है जिसे अपना
उसी को है ये दिन दिखाता।
मिले जो महफ़िल में हमारे
जो थे वो खुद खुदा के सहारे
वो कहते हैं हम उनसे मोहब्बत
नहीं हैं करतें
तो ये रातों का जगना
दिन रात तेरी फितूर रहना
गर है नहीं मोहब्बत तो बताओ
फिर ये क्या है।
ये सब सुनहरे सपने होते हैं जो
अपनें
ये अपनें कभी ना होते
ना पूरे होते सपने।
सुनी सुनाई बातों का क्या है ये तराना
तू है मेरा फसाना तू हीं मेरा ठिकाना
अब दूर रह के तुमसे जीया नहीं है जाता।
अब दूर रह के तुमसे रहा नहीं है जाता..
अब दूर रह के तुमसे रहा नहीं है जाता...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




