यूं जबरदस्ती हम किसी बंधन में बंधा नहीं करते,
जो चला गया छोड़ कर उसका पीछा नहीं करते।
साथ नहीं कोई हमारे फ़कत तन्हाई ही तन्हाई है,
पर हम तन्हाई की आग में यूं जला नहीं करते।
इम्तिहानों ने घेरा बना रखा है इर्द - गिर्द हमारे,
पर हम बार - बार के संघर्ष से डरा नहीं करते।
करते कोशिश हम जब तक मिल न जाए मंज़िल,
कभी नाकामयाबी के डर से हम हारा नहीं करते।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️