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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

सम्भल कर कदम रखना - सुप्रिया साहू

संभल कर क़दम रखना

जिंदगी में ज़रा संभाल कर कदम रखना,
यहाँ लोग फिसलने को मजबूर करते हैं।

कहीं रेत की तरह तो कहीं तेल की तरह,
कहीं खुदरा तो कहीं चिकना फर्श की तरह।

हर रोज डगमगाता है कदम मेरा बहुत,
अब मेरी नैय्या पार किसने लगाई है।

अब तो जाना है समंदर की ओर “सुप्रिया”,
कदम बढ़ाने को दिल से आवाज आई है।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Shiv Charan Dass said

बहुत सुन्दर

Supriya sahu replied

धन्यवाद आदरणीय दास सर जी 😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Lekhram Yadav said

बहुत खूबसूरत रचना, अपने दिल की आवाज को सुन कर आगे बढ़ते रहना, आपको सादर नमस्कार

Supriya sahu replied

धन्यवाद महोदय 😊🥰, जी बिल्कुल सर जी, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

श्रेयसी said

बहुत सुंदर रचना 🙏🙏

Supriya sahu replied

धन्यवाद मैम😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏 🙏।

Tulsi patel said

Bilkul sahi bol rhe ho Supriya ji 👌

Supriya sahu replied

Thank you Tulsi ji😊🥰, aapko sadar pranam 🙏🙏.

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

सुप्रिया जी, समंदर की ओर बढ़ना और लहरों से टकराना, आसमान की ओर बढ़ना और जितनी चाहे उड़ना, हमारी दुआएं आपके साथ है। रचना खूबसूरत।

Supriya sahu replied

बहुत - बहुत आभार सहित धन्यवाद आदरणीय मनोज सर जी😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏, बस ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहिए, एक दिन आसमान में जरूर उड़ूँगी 😊।

रीना कुमारी प्रजापत said

You are right dear✍️✍️👌👌

Supriya sahu replied

Thank you so much dear mam 😊🥰, pranam🙏🙏

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