आजकल जग हंसाई से डरते हैं लोग
जिन्दगी की सच्चाई से डरते हैं लोगI
थक गए हैं शायद वफा करके खुदसे
अब मौसमी शहनाई से डरते हैं लोगI
जो उम्र भर सताते रहे बेवजह सबको
अब जरा सी हाथपाई से डरते हैं लोगI
आंख मूंदके भरोसा किया हैं दास पर
बेवजह हमारी परछाईं से डरते हैं लोग।
खुद तो उन्हें प्यार से समझा नहीं सकते
बच्चों की दी गई सफाई से डरते हैं लोग I