"प्रकृति के अनुपम उपहार"
शिवानी जैन एडवोकेटByss
प्रकृति के अनुपम उपहार, ये पर्वत खड़े महान हैं,
शांत सरोवर, बहती नदियाँ, जीवन का ये विधान हैं।
हरे-भरे ये वन उपवन हैं, फूलों की रंगत न्यारी,
पशु-पक्षी गाते मधुर तराने, ये शोभा है हमारी।
सूर्य की सुनहरी किरणें देखो, धरती को रोशन करतीं,
चाँद सितारों की चमचमाहट, रातों को सुंदर करतीं।
ये हवा का शीतल स्पर्श है, साँसों में अमृत भरता,
मिट्टी की सौंधी खुशबू से, मन आनंद से भरता।
ये झरने कलकल बहते हैं, संगीत सुनाते प्यारे,
ये ऋतुओं का आना जाना, जीवन के हैं नज़ारे।
हर पत्ती, हर कली में देखो, विधाता का है ये जादू,
प्रकृति का हर कण अनमोल है, मत समझो इसको साधु।
आओ मिलकर करें सराहना, इस अद्भुत देन की हम,
रखें इसे सहेजकर हमेशा, न होने दें कभी कम।
ये प्रकृति का अनुपम उपहार, जीवन का ये आधार है,
इसके बिना तो सब कुछ सूना, ये ही तो जग का सार है।