कापीराइट गजल
गर जिन्दगी में इतने सवाल न होते
इस जिन्दगी में इतने बवाल न होते
होती न जरूरत, हमें रोटी की अगर
पेट की आग के भी सवाल न होते
गर ना होती मोहब्बत किसी से हमें
खूबसूरत ये इतने मेरे ख्याल न होते
खूबसूरती न होती तो जुर्म ना होता
फरेब और हुस्न के जाल न होते
गर न होती कहानी खूबसूरत इतनी
फरहाद के हाथों में कुदाल न होते
गर होती ना हमें प्यार की ख्वाहिश
इतने हंसी दिल में ये ख्याल न होते
न रोता कोई यूं प्यार करने के बाद
इस जिन्दगी में इतने मलाल न होते
मिलते ना गम हमें गर यूं इस तरह
फिरते न गलियों में बदहाल न होते
गर न छोङा होता प्यार में किसी ने
आशिकी में हम यूं बेहाल न होते
सवालों में उलझ के रह गई ये जिन्दगी
क्या होता यादव गर ये सवाल न होते
- लेखराम यादव
... मौलिक रचना ...
सर्वाधिकार अधीन है