"ग़ज़ल"
हम तो ऐसे ही इन'आम-ए-वफ़ा देते हैं!
दिल के तालिब पे जान लुटा देते हैं!!
पहले जल्वों से वो होश उड़ा देते हैं!
फिर बड़े प्यार से दामन की हवा देते हैं!!
मेरी ख़्वाहिश कि आप के क़दमों में दम निकले!
और आप हैं कि जीने की दुआ देते हैं!!
जिस के साये में ये उम्र इक पल में गुज़रे!
आप के गेसू मंज़िल का पता देते हैं!!
इश्क़ वालों से हर बार ख़ता होती है!
दुनिया वाले हर बार सज़ा देते हैं!!
महफ़िल-ए-सुख़न की हिफ़ाज़त करना यारों!
अपनी ग़ज़लों से हम आग लगा देते हैं!!
जो दिखता है उस की क़दर नहीं 'परवेज़'!
जो ग़ाएब है उसे नाम-ए-ख़ुदा देते हैं!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*तालिब=माॅंगने वाला या चाहने वाला (seeker or lover); *जल्वों=नज़ारे (scenes or sights); *ख़्वाहिश=तमन्ना (wish); *गेसू=लड़कियों या औरतों के सर के लम्बे बाल (tresses); *ख़ता= ग़लती या गुनाह (mistake or fault); *महफ़िल-ए-सुख़न=शे'र-ओ-शायरी की महफ़िल या कवि-सम्मेलन (a gathering of poets or a covention of poetry); *ग़ाएब=अदृश्य (invisible).