रिश्तों को मर्यादा की चुन्नर पहनाई
गांठ उम्र भर की ऐसी लगाई
तोड़े से भी तोड़ी न जाएँ ऐसी है सगाई
तिनके की तरह तोड़ा पर न आई है रुसवाई
हार से होड़ लगा के किए लड़ाई
हताशा की औकात क्या रब से है मेरी सगाई
धोखा खाकर भी जुड़े किई है वफ़ाई
हो गए अकेले मिली तन्हाई
हँसते चहेरे पे गमो संग कर ली सगाई
जान से प्यारे बंधन ये सारे, उससे केवल सगाई
इल्ज़ाम लगा है के स्वार्थ की सगाई
खैर न फ़रियाद करे खुदा संग प्रीत अब लगाई