सच तो सच है,सच पर कोई सवाल नहीं,
बोल दिया सच, इस पर कोई बवाल नहीं।
जब सच और झूठ दोनों हैं बिलकुल जुदा,
आज दोनों के बीच क्यों कोई दिवाल नहीं।
सस्ता झूठ बढ़-चढ़ कर बिकता बाजार में,
महँगा है सच,तब इसका कोई लिवाल नहीं।
सच बोलने वाले ही,अकसर होते हैं कंगाल,
झूठों की बिरादरी का तो कोई ज़वाल नहीं।
मिलेगा सब कुछ गर बोले सलीके से झूठ,
दुनिया में, सच का कोई हाल-हवाल नहीं ।
झूठे सबसे आगे चलते, तान अपना सीना,
कैसी ये दुनिया! सच का कोई दलवाल नहीं।
🖊️सुभाष कुमार यादव