देखिए नया दौर , नही है ठौर
अनायास हो रही है थकावट,
बढ़े अनबन,अशांत तन मन,
झूठी मुस्कान,झलके दिखावट,
मुंह में है राम-२, बगल में छुरी,
अपनों का रुख,यथा बगावत ,
खोखले रिश्ते, है निरे फरिश्ते ,
कल्पित बातें ,चेहरे पर बनाबट,
शुद्धता की गारंटी है स्वप्निल,
मिलाबट है कलियुगी कहावत !
✒️राजेश कुमार कौशल