लोग पारिवारिक समस्याओं से ना जाने
घबराते क्यों हैं।
अपनी तकलीफों से भागते क्यों हैं
अरे बिन परिवार जीना भी क्या जीना है
बस अपने लिए जीना और मरना है।
ये परिवार हीं हमें काबिल बनातें हैं
जीवन में कुछ कर गुजरने की चाह
दे जातें हैं।
परिवार हीं आदमी के जीने के आधार हैं
बिन परिवार जीना क्या सब बेकार है।
सो लड़ते रहिए जीतते रहिए और
पारिवारिक कलह को अपनी ताक़त
बनाईए..
इन छोटे छोटे समस्याओं को बढ़ी खुशी में
बदलिए और परिवार से घबराइए नहीं
बल्कि खुद आनंदित रह कर सबको
आनंदित किजिए...
अपने परिवार के साथ खुश रहिए
सबको खुश रखिये....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




