छोड़ दे तू बेईमानी, नहीं तो काल के ग्रास में समा जाएगा।
दलदल है गहरा, दलदल में धंसता और धंसता चला जाएगा।
जोड़ रहा किसके लिए माया, साथ न देगा अपना भी साया।
खाली हाथ आया था,खाली हाथ ही जाएगा।
कर्म अच्छे कर ले, अंकी ,इंकी डंकी लाल।
आएगी बारी तेरी, ईश्वर को क्या मुंह दिखलाएगा।
भ्रष्टाचार का कलंक, अपने माथे पर लगाकर।
मुंह पर अपने कालिख पोतकर, कब तक तू जी पाएगा।
तेरी ये जिद, आज नहीं तो कल ले डूबेगी।
जिंदगी जो बची, काल कोठरी में ही कटेगी।
मेरा मेरा करते-करते, शायद यह भूल गया।
फंदा बनाकर,तू कई बार झूल गया ।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




